Monday, 19 August 2019

सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण नगर

sindhu ghati sabhyata, indus valley civilisation

मोहनजोदड़ो (Mohenjo-daro): जिसका सिंधी भाषा में आशय मृतको का टीला होता है, सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में स्थित सैन्धव सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से वृहत स्न्नानागार, अन्नागार के अवशेष, पुरोहित कि मूर्ती इत्यादि मिले है।

हड़प्पा (Harappa): यह पहला स्थान था, जहाँ से सैन्धव सभ्यता के सम्बन्ध में प्रथम जानकारी मिली।यह पाकिस्तान में पश्चिमी पंजाब प्रान्त के मांटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। अर्ध-औद्योगिक नगर’ कहा है।

चन्हूदड़ो (Chanhu-daro): यह सैन्धव नगर मोहनजोदड़ो से किलोमीटर दक्षिण में सिंध प्रान्त में ही स्थित था। इसकी खोज 1934 ई० में ऐन, जी, मजूमदार ने की तथा 1935 में मैके द्धारा यहाँ उत्खनन कराया गया। यहाँ के मनके बनाने का कारखाना, बटखरे।तथा कुछ उच्च कोटि की मुहरे मिली है। यही एक मात्र ऐसा सैन्धव स्थल है जो दुर्गीकृत नहीं है।

लोथल (Lothal): यह नगर गुजरात में खम्भात की खाड़ी में भोगवा नदी के किनारे स्तिथ है। जो महत्वपूर्ण सैन्धव स्थल तथा बंदरगाह नगर भी था। यहाँ से गोदी (Duckyard )के साक्ष्य मिले है लोथल में नगर का दो भागो में विभाजन होकर एक ही रक्षा प्राचीर से पूरे नगर को दुर्गीकृत किया गया है।

कालीबंगा (Kalibangan): कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ होता है काली रंग की चूड़ियां। यह सैन्धव नगर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे स्तिथ है यहाँ के भवनों का निर्माण कच्ची ईंटो द्धारा हुआ था तथा यहाँ से अलंकृत ईंटो के साक्ष्य मिले है। जुते खेत, अग्निवेदिका, सेलखड़ी तथा मिटटी की मुहरे एवम मृदभांड यहाँ उत्त्खनन से प्राप्त हुए है।

सुत्कागेंडोर (Sutkagen dor): सैन्धव सभ्यता का यह सुदूर पश्चिमी स्थल पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्तिथ है।यह सैन्धव सभ्यता का पश्चिम में अंतिम बिंदु है। यहाँ से एक किले का साक्ष्य मिला है, जिसके चारो ओर रक्षा प्राचीर निर्मित थी।

बनावली (Banawali): हरियाणा के हिसार जिले में स्तिथ इस स्थल से कालीबंगा की तरह हड़प्पा पूर्व और हड़प्पाकालीन, दोनों संस्कृतियों के अवशेष मिले है। यहाँ से अग्निवेदिया, लाजवर्दमनी, मनके, हल की आकृति, तिल सरसो का ढेर, अच्छे किस्म के जो, नालियों की विशिस्टता, तांबे के वाणाग्र आदि मिले है।


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