Monday, 2 July 2018

खनिज समृद्ध छत्तीसगढ़ की धरती में तांबा भी है, जल्द शुरू होगी खदान

खनिज समृद्ध छत्तीसगढ़ की धरती में तांबा भी है, जल्द शुरू होगी खदान

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लोहा, कोयला, बॉक्साइड, लाइम स्टोन, टिन, कोरंडम, हीरा, सोना समेत तमाम बहुमूल्य धातुओं को अपने गर्भ में छुपाए छत्तीसगढ़ की धरती अब तांबा भी उगलेगी। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के सर्वे में छत्तीसगढ़ के बस्तर, सरगुजा और राजनांदगांव में कॉपर (तांबा) डिपाजिट की पुष्टि हो चुकी है।

कॉपर खनन के लिए देश की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) और छत्तीसगढ़ की कंपनी मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरशन (सीएमडीसी) ने मिलकर एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई है।

इस कंपनी का नाम छत्तीसगढ़ कॉपर लिमिटेड रखा गया है। यही कंपनी प्रदेश में तांबा का उत्खनन करेगी। खनिज विभाग के अफसरों के मुताबिक राजनांदगांव जिले के पोदल गांव में 25 वर्ग किमी दायरे में तांबा मिलने की संभावना है। जीएसआई ने आधारभूत सर्वेक्षण में बस्तर, सरगुजा और राजनांदगांव में तांबा होने की संभावना जताई।

इसके बाद एचसीएल और सीएमडीसी को मिलाकर ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई गई। कंपनी का गठन इसी साल 21 मई को किया गया। इस कंपनी का मुख्यालय भिलाई में होगा। ज्वाइंट वेंचर कंपनी में एचसीएल की हिस्सेदारी 74 फीसद और सीएमडीसी की हिस्सेदारी 26 फीसद होगी। हालांकि सरगुजा और बस्तर में भी खदानें खुलेंगी लेकिन पहले राजनांदगांव में खदान को प्राथमिकता दी जा रही है।

इसकी वजह यह भी है कि एचसीएल की बालाघाट जिले के मलाजखंड में जो खदान है वह राजनांदगांव से नजदीक है। इससे वहां के संसाधनों का यहां उपयोग करने की सुविधा रहेगी। मलाजखंड देश की सबसे बड़ी तांबे की खदान है। देश के कुल तांबा उत्पादन का 70 फीसद इसी खदान से आता है। एचसीएल इस खदान से अपने कुल उत्पादन का 80 फीसद हासिल करता है।

देश में बढ़ रही तांबे की जरूरत

देश में वर्तमान में सालाना 6.5 लाख टन कॉपर घरेलू इस्तेमाल के लिए उपयोग में लाया जाता है। यहां प्रति व्यक्ति कॉपर की खपत 0.6 किलो प्रतिवर्ष है। चीन में यह 3.2 किलो प्रतिवर्ष है और विश्व में औसतन प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 2.9 किलो कॉपर का इस्तेमाल किया जाता है। वर्ष 2021 तक देश में सालाना 12.5 लाख टन कॉपर की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए नई खदानों की जरूरत होगी। वर्तमान में देश में उपयोग में लाए जाने वाले कुल कॉपर का 90 प्रतिशत आयात किया जाता है। यहां उत्पादन सिर्फ 10 फीसद है।


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