मदकू द्वीप में खुलेगा छत्तीसगढ़ का पहला आवासीय गुरुकुल स्कूल
प्रदेश के नौनिहालों को गुरुकुल परिवेश में शिक्षा देने के लिए संस्कृत विद्या मण्डलम बोर्ड के अंतर्गत प्रदेश का पहला गुरुकुल स्कूल मुंगेली जिले के मदकू द्वीप में खुलने जा रहा है। दो करोड़ 26 लाख् के बजट से तैयार इस स्कूल में छठवीं से 12वीं तक पढ़ाई होगी।
संस्कृत विद्या मण्डलम बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी परमात्मानंद ने बताया कि शुरुआती सत्र में 50 छात्रों को शिक्षा दी जाएगी। आवासीय स्कूल में सिर्फ छात्रों के रहने की व्यवस्था होगी।
छात्राओं के लिए भविष्य में हॉस्टल की व्यवस्था की जाएगी। इस स्कूल को शुरू करने के पीछे शासन व बोर्ड का एक मात्र उद्देश्य है कि छात्र भारतीय सभ्यता, संस्कृति के माहौल ज्ञान प्राप्त कर सकें।
सभी 27 जिलों में खोलने का प्लान
बोर्ड ने शासन से कई बार गुरुकुल स्कूल खोलने की मांग की, लेकिन पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में सिर्फ एक स्कूल की स्वीकृति मिली है। बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि स्कूल शुरू करने के लिए कागजी कार्यवाही अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि नए सत्र से स्कूल संचालित होगा। बोर्ड का यह प्रयास सफल रहा तो शासन बाकी 26 जिलों में गुरुकुल स्कूल खोलेगा।
छात्र-छात्राएं एक साथ करेंगे पढ़ाई
स्कूल में छात्र-छात्राएं एक साथ पढ़ाई करेंगे। शुरुआत में छठवीं क्लास में दाखिला होगा। यहां स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा योग, संस्कृति, वेद, नृत्य, गायन आदि की शिक्षा दी जाएगी। स्कूल भवन में रंगरोगन के साथ फर्नीचर आदि की व्यवस्था कर ली गई है।
मेंढक के आकार में है मदकू द्वीप
राजानी रायपुर से बिलासपुर हाइवे होते हुए 80 किलोमीटर दूर मुंगेली के बैतलपुर गांव से सटा मदकू द्वीप है। छत्तीसगढ़ के मोहन जोदड़ो के नाम से चर्चित इस द्वीप की आकृति मेंढक की जैसी प्रतीत होती है। यह द्वीप शिवनाथ नदी के बीचों बीच पर्यटकों के लिए अनोखी जगह है।
कहा जाता है कि यह द्वीप दो धर्मों और आस्था का संगम स्थल है। शिवनाथ नदी की धाराएं यहां ईशान कोण में बहती है, जिसे वास्तु शास्त्र के हिसाब से सबसे पवित्र दिशा माना जाता है। जनश्रुति यह भी है कि पूर्व में इस द्वीप पर मंदाक नामक ऋषि निवास करते थे जिसके कारण इसका नाम मदकू द्वीप पड़ा। वैसे हिंदी में मंदाकू मेंढक को ही कहा जाता है।
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