Sunday, 17 June 2018

छत्तीसगढ़ का रामायण कालीन इतिहास

छत्तीसगढ़ का रामायण कालीन इतिहास

History-of-Ramayana-in-Chhattisgarh

रामायण महाकाव्य के अनुसार तात्कालिक छत्तीसगढ़ दक्षिण कौशल का भाग था । इसकी राजधानी कुशस्थली थी ।  भानुमंत  के पिता  महाकौशल के नाम से इस क्षेत्र का नामकरण कोशल प्रदेश हुआ ।  राजा भानुमंत की पुत्री कौशल्या का विवाह राजा दशरथ से हुआ था । छत्तीसगढ़ श्री राम का ननिहाल था । 
 रामायण महाकाव्य के अनुसार राम के वनवास का अधिकांश समय यहां व्यतीत हुआ । सरगुजा जिले में रामगढ़ की पहाड़ी, सीताबेंगरा तथा लक्ष्मणबेंगरा की गुफा में काफी समय व्यतीत किए । यहीं पर किष्किंधा पर्वत में बाली वध का प्रमाण मिलता है।

 बारनवापारा अभ्यारण में स्थित तुरतुरिया वाल्मीकि ऋषि का आश्रम था । जहां लव कुश का जन्म हुआ ।  महानदी का उद्गम स्थल सिहावा को श्रृंगी ऋषि के आश्रम का गौरव प्राप्त है । 

कांकेर जिला में आज भी पंचवटी स्थल है । रामायण महाकाव्य के अनुसार यहीं से सीताजी का हरण हुआ था । दंडकारण्य प्रदेश को इक्ष्वाकु के पुत्र दंडक का साम्राज्य माना जाता है । रामायण महाकाव्य में दंडकारण्य का सर्वाधिक उल्लेख किया गया है । 

जांजगीर-चांपा में स्थित खरौद में खर दूषण का साम्राज्य था ।  यहीं पर लक्ष्मण द्वारा स्थापित  लखेश्वर महादेव मंदिर  लाखा चाउर मंदिर है ।  शिवरीनारायण को शबरी आश्रम के रूप में चिन्हित किया जाता है । 


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