छेरकी महल, कवर्धा, कबीरधाम
भोरमदेव मंदिर के पास ही छेरकी महल है, यह भी शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। स्थानीय बोली में बकरी को 'छेरी' कहा जाता है इसलिए यह मान्यता है कि यह मंदिर बकरी चराने वालों को समर्पित है। इस मंदिर की खासियत है कि इसके पास जाने पर बकरियों के शरीर से आने वाली गंध आती है। पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
भोरमदेव मंदिर के दक्षिण-पश्चिम में एक किलोमीटर की दूरी पर यह छेरकी महल स्थापित है। इस ऐतिहातिक एवं पुरात्व महत्व के छेरकीमहल में शिव भगवान विराजित है। ईंट प्रस्त्र निर्मित इस मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है।
14 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में निर्मित इस मंदिर में छेरी बकरी का गंध आज भी आती है, इसलिए इस मंदिर नुमा महल को छेरकी महल के नाम से जाना जाता है। द्वार चैखट की वाम पाश्र्व द्वारा शाखा में नीचे चर्तुभूजी शिव एवं द्विभुजी पार्वती खड़े है। मंदिर का गर्भगृह वर्गाकार है। मध्य में कृष्ण प्रस्तर निर्मित शिवलिंग जलाधारी पर स्थापित है।
EmoticonEmoticon