महाजनपद काल (Mahajanapada period)(600 BC - 345 BC)
वैदिक काल में जनजाति जो एक समूह में रहते थे, उन्होनें अपने अलग-अलग राज्य सीमाओं को निर्धारित करने का निश्चय किया। इस प्रकार छठी शताब्दी ईसा पूर्व में इसी निश्चय ने जिन इकाइयों को जन्म दिया उन्हें जनपद या राज्य का नाम दिया गया। बौद्ध ग्रन्थों में इन जनपदों के बारें में बहुत कुछ लिखा गया है।
महाजनपद शब्द वास्तव में संस्कृत के शब्द ‘महा’ और ‘जनपद’ के संयोग से मिलकर बना है जहां ‘महा’ का अर्थ है ‘बहुत बड़ा’ और ‘जनपद’ का अर्थ है ‘एक जनजाति के पदचिन्ह’।
इस प्रकार यह जनपद वर्तमान काल के उत्तरी अफगानिस्तान से लेकर बिहार तक और हिंदुकुश से लेकर गोदावरी नदी के विस्तार तक फैले हुए थे। इन जनपदो का विवरण रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक ग्रन्थों में भी मिलता है।
बौद्ध और जैन धार्मिक ग्रन्थों से पता चलता है कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी का भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था. उस समय उत्तरी भारत में सोलह महाजनपद (Sixteen Mahajanapada) अर्थात् बड़े राज्यों का अस्तित्व था. ये राज्य बड़े राज्य इसलिए कहलाते थे क्योंकि इनका आकार वैदिक युगीन कबीलाई राज्यों से बड़ा था. कबीलाई राज्यों के स्थान पर महाजनपद (या जनपद राज्य) इसलिए बने क्योंकि लोहे के प्रयोग के कारण युद्ध अस्त्र-शस्त्र और कृषि उपकरणों द्वारा योद्धा और कृषक अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक सफलता पा सके.
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