Tuesday, 13 November 2018

गोंडी और हलबी में 'प्रेम' का रस घोलेगी बापू की हिंद स्वराज

गोंडी और हलबी में 'प्रेम' का रस घोलेगी बापू की हिंद स्वराज

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1909 में लंदन से दक्षिण अफ्रीका लौटते हुए जहाज पर हिंदुस्तानियों के हिंसावादी पंथ को और उसी विचारधारावाले दक्षिण अफ्रीका के एक वर्ग को दिए गए जवाब के रूप में महात्मा गांधी ने 'हिन्द स्वराज' पुस्तक लिखी। पहले दक्षिण अफ्रीका में छपने वाले साप्ताहिक 'इंडियन ओपिनियन' में यह प्रकट हुई थी। द्वेष धर्म की जगह प्रेम धर्म की सीख देने वाली इस कृति का पहली बार छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली गोंडी और हलबी बोली में अनुवाद किया जा रहा है।

राज्य शासन के निर्देश पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के संचालक सुधीर कुमार अग्रवाल ने बताया कि महात्मा गांधी की पुस्तक 'हिन्द स्वराज' और 'बापू की कुटिया' के अनुवाद का काम शुरू कर दिया गया है। यह पुस्तक न सिर्फ स्कूल में बल्कि कॉलेज, बस्तर व गोंडी, हलबी भाषी छत्तीसगढ़ियों तक बापू का संदेश पहुंचाएगी।

गौरतलब है कि गोंड आदिवासियों की कुल आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार एक करोड़ 32 लाख के आसपास है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में रहने वाले गोंड या तो छत्तीसगढ़ी बोलते हैं या सरगुजिया। वहीं बस्तर इलाके में रहने वाले गोंड आदिवासी या तो तेलुगु मिश्रित गोंडी बोलते हैं या हलबी।


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