Tuesday, 28 August 2018

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्‍वाकांक्षी परियोजना है 'बायोफ्यूल'

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्‍वाकांक्षी परियोजना है 'बायोफ्यूल'

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छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी बायोफ्यूल परियोजना को पंख लग गए हैं। छत्तीसगढ़ की बाड़ी (खेत) से निकले बायो एविएशन फ्यूल से विमान ने देहरादून से दिल्ली तक उड़ान भरी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 2005 में नारा दिया था-डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से। 13 साल बाद यह नारा तब सार्थक हुआ जब बाड़ी के ईंधन से विमानन कंपनी स्पाइस जेट के टर्बो क्यू 400 विमान ने उड़ान भरी। देहरादून एयपोर्ट पर सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विमान को हरी झंडी दिखाई। इसमें 25 फीसद जैव ईंधन और 75 फीसद सामान्य एविएशन फ्यूल का इस्तेमाल किया गया।

क्या है बायोफ्यूल
बायोफ्यूल जेट्रोपा (रतनजोत) के बीजों का उत्पाद है। जेट्रोपा यूफोर्बियेसी परिवार का सदस्य है और अमेरिकी मूल का है। स्थानीय भाषा में इसे बरगंडी भी कहते हैं। जेट्रोपा का पौधा तीन-चार मीटर ऊंचा होता है और प्रतिकूल मौसम और विपरीत जलवायु में भी फलता-फूलता है।

प्रतिदिन तीन टन उत्पादन
बायोफ्यूल अथारिटी ने राजधानी रायपुर के वीआइपी रोड में बायोफ्यूल का प्लांट में लगाया है। यहां प्रतिदिन तीन टन ऑयल का उत्पादन होता है। बिलासपुर, कवर्धा, मुंगेली, जांजगीर आदि जिलों में किसानों का सशक्त समूह गठित किया गया है। पेंड्रा समूह के पांच सौ किसानों ने वह बीज दिया जिससे विमान का ईंधन बना। सरकार किसानों से 13-14 रूपये प्रतिकिलो के दाम पर बीज खरीदती है। चार किलो बीज से एक किलो तेल निकलता है।

बायोफ्यूल की नई नीति पर चल रहा काम
केंद्र सरकार ने इसी साल चार जून को जैव ईंधन नीति 2018 घोषित की। 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व बायोफ्यूल दिवस पर इस नीति को राष्ट्र को समर्पित किया। भारत सरकार ने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों की कमेटी बनाई है जिसमें छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया है।

छत्तीसगढ़ ने गढ़ा नारा
बायोफ्यूल से विमान उड़ने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने नारा गढ़ा है-अब उड़गे हवाई जहाज रतनजोत के तेल मा, छत्तीसगढ़ के नाम होही अब देश विदेश मा।


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