चंद्रप्रभ भगवान की 21 फीट ऊंची और 80 टन वजनी मूर्ति दुर्ग में हुई स्थापित
शिवनाथ तट पर सोमवार सुबह श्री चंद्रप्रभ तीर्थ की स्थापना पर भगवान पार्श्वनाथ और सुब्रतनाथ के साथ भगवान चंद्रप्रभ की 21 फीट 3 इंच प्रतिमा स्थापित की गई। 11 हजार मंत्रोच्चार के बीच यह प्रतिमा स्थापना हुई। यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में देश की सबसे बड़ी प्रतिमा है। पार्श्व तीर्थ नगपुरा तीर्थ के बाद प्रख्यात जैन तीर्थों की सूची में अब दुर्ग का नाम भी शामिल हो जाएगा। देशभर से भगवान चंद्रप्रभ के अनुयायी स्थापना उत्सव में शामिल हुए। श्री दिगंबर जैन पंचायत द्वारा आयोजित स्थापना उत्सव सुबह छह बजे से ही शुरू हो गई।
बिजौलिया पत्थर से बनी है मूर्ति
चंद्रप्रभ भगवान की 21 फीट 3 इंच की मूर्ति के प्रदाता देवेन्द्र सजल काला परिवार है। इन्होंने यह मूर्ति श्री नसिया जी तीर्थ क्षेत्र को प्रदान की है। ज्ञातव्य हो कि मूर्ति बिजौलिया पत्थर की बनी है। कार्यक्रम के दौरान सुबह व शाम वात्स्ल्य भोजन समाज द्वारा रखा गया था। सायंकाल के भोजन के दाता धूपचंद, अनिल छाबड़ा व भोजन प्रभारी अजय सेठी, ज्ञानचंद गंगवाल व दीपक लुहड़िया थे। पूजन कार्यक्रम के उपरांत मूर्ति रखने का कार्य सुबह 11 बजे से प्रारंभ हुआ था, लेकिन मूर्ति का वजन लगभग 80 टन होने के कारण शाम 4 बजे मूर्ति विराजमान हो पायी। मूर्ति विराजमान होने पर समस्त समाज भावविप्ल हो गया था। दिगंबर जैन समाज के समस्त व्यापारियों ने अपने व्यापार बंद कर रखा।
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