Wednesday, 30 May 2018

मड़वा महल, कवर्धा

मड़वा महल, कवर्धा

Madwa Mahal temple, Kawardha, Kabirdham

भोरमदेव मंदिर के पास एक और महत्वपूर्ण एतिहासिक स्मारक मड़वा महल दर्षनीय हैं। भोरमदेव मंदिर से आधे किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में चैरा ग्राम के समीप एक प्रस्तर निर्मित पश्चिमांभिमुख एक शिव मंदिर है, जिसे मड़वा महल कहा जाता है। । मड़वा महल को नागवंशी राजा और हैहवंशी रानी के विवाह के स्मारक के रूप में जाना जाता हैं। स्थानीय बोली में मड़वा का अर्थ विवाह पंडाल होता हैं। 
Madwa Mahal temple, Kawardha, Kabirdham


 वैसे तो मूल रूप से मड़वा महल एक शिव मंदिर था परंतु इसका आकार विवाह के शामियाना की तरह होने के कारण इसे मड़वा महल के रूप में जाना जाता हैं। इसे दुल्हा देव भी कहा जाता हैं। नागवंशी सम्राट रामचंद्र देव ने सन 1349 में यहां मंदिर का निर्माण कराया। जिसके गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित हैं और यह मंडप 16 स्तंभो पर टिकी हुर्इ हैं। इस मंदिर के बाहय दीवारो पर बेहद सुंदर ऐवम  कामोत्तेजक मूर्तियां बनार्इ गर्इ हैं।


Madwa Mahal temple, Kawardha, Kabirdham
इन दीवारों पर चित्रित कामोक मूर्तियां विभिन्न 54 मुद्राओं में दर्शायी गयी हैं। यहां सारे आसन कामसूत्र से प्रेरित हैं। जो कि वास्तव में अनंत प्रेम और सुंदरता का प्रतिक हैं। यह सारे चित्रण कलात्मक दृषिट से भी महत्वपूर्ण हैं। तत्कालीन नागवंषी राजाओं का तंत्रपर अत्यधिक विश्वास करते थे। जैसा कि दिवारों पर बने हल्दी के निशानों से इसका संकेत मिलता हैं। कि विवाह और अन्य अनुष्ठानों के समय इनका प्रर्दशन  किया जाता रहा होगा।
Madwa Mahal temple, Kawardha, Kabirdham

भोरमदेव मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही अपनी वास्तुकला की पृष्ठ भूमि के लिए भी अद्वितीय हैं। यह मंदिर मुख्यत: दो भागों में बना हैं। इसके एक भाग में मंदिर बनाया गया एवं दूसरे भाग को पत्थरों पर नक्काशी के द्वारा निर्मित किया मुख्य भोरमदेव मंदिर सुरम्य एवं शांत झील के सामने बना हैं। इस मध्य युगीन मंदिर 5 फीट उंचे स्थान पर मंडप अंतराल और गर्भगृह के मिलाकर बनाया गया हैं। पूर्व मुखी मंदिर में  पश्चिम  को छोड़कर तीनों दिशाओं पर द्वार हैं। र्इंट निर्मित मंदिर भी गर्भगृह के समान हैं। परंतु यहां मंडप नहीं बना हैं। इस मंदिर के उपर भी भोरमदेव मंदिर जैसा ही आकार बनाया गया हैं। परंतु इसकी चोटी का भाग मध्य में टूटा हुआ है। गर्भगृह के प्रवेश द्वारा पूरी तरह से पाषाण निर्मित हैं जिसका केंद्र स्तंभ आसपास के तीन स्तंभों से जुड़ा हुआ हैं। मुख्य मंदिर के बाहर शिवलिंग और उमा महेष्वर की मूर्तियां स्थापित हैं। उनके सामने राजा और रानी उपासना कर रहे हैं।


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