14 अगस्त को छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह अपने कार्यकाल के 5 हजार दिन पूरे किये । सीएम रमन सिंह पीएम नरेन्द्र मोदी को पीछे छोड़ते हुए मौजूदा बीजेपी शासित प्रदेशों में इतना लंबा कार्यकाल पूरा करने वाले इकलौते सीएम है।
- सीएम रमन सिंह ने अपनी पॉलिटिक्स की शुरुआत 1984 में पार्षद का चुनाव लड़कर की। ये चुनाव उन्होंनें कवर्धा की नगर पालिका से लड़ा था। दिलचस्प बाद ये है कि उस वक्त कवर्धा नगर पालिका में कांग्रेस का कब्जा था बीजेपी के केवल दो ही पार्षद थे।
- 1990 में रमन सिंह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के जगदीश चंद्रवंशी को हराकर विधायक बने, इसके बाद 1993 में भी वे विधायक चुनाव जीते लेकिन 1998 का विधानसभा चुनाव रमन सिंह हार गए।
- जब रमन सिंह चुनाव हारे तो लोगों को लगा कि अब रमन सिंह का पॉलिटिकल करियर खत्म हो गया है, लेकिन अटल बिहारी के करीबी होने के वजह से रमन सिंह ने 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ा।
- रमन सिंह ने लोकसभा चुनाव उस वक्त के दिग्गज कांग्रेसी मोतीलाल बोरा के खिलाफ लड़ा और जीत गए। चुनाव जीतने के बाद उन हे अटल कैबिनेट में मंत्री बनाया गया।
- जब छत्तीसगढ़ की राजनीति गर्माने लगी तो उस वक्त के बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वैंकेया नायडू ने 2002 में रमन सिंह को छत्तीसगढ़ का प्रदेशाध्यक्ष बनाया।
पीएम मोदी को छोड़ा पीछे
पिछले ही साल पीएम नरेंद्र मोदी के गुजरात के 4610 दिन तक का सीएम रहने का रिकार्ड तोड़ चुके डॉ. सिंह के कार्यकाल के आसपास भी इस समय कोई भाजपा शासित राज्य का सीएम नही है। मोदी ने यह रिकार्ड चार साल के कार्यकाल में बनाया था जबकि, रमन ने उन्हें तीसरे कार्यकाल में ही पीछे छोड़ते हुए नया रिकार्ड बनाया है।
ऐसे बने सीएम
- 2002 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद रमन सिंह के सामने कांग्रेस की सरकार को हटाने की चुनौती थी।
- 2003 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने रमन के साथ लड़ा और 90 मे से 50 सीटे ला कर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी।
- सरकार बनने के बाद 7 सितम्बर को रमन सिंह ने सीए पद की शपथ ली।
- 2003 से लेकर प्रदेश लगातार बीजेपी की जीत होती रही और 2017 में रमन सिंह ने अपने कार्यकाल के 5 हजार दिन पूरे किए।
करते थे फ्री इलाज
रमन सिंह ने 1975 में रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज से बीएएमएस की डिग्री ली. डिग्री लेने के बाद डॉ.रमन सिंह ने कवर्धा में खुद की एक छोटी की क्लीनिक खोली। उनकी क्लीनिक में आने वाले मरीजो का इलाज मुफ्त में होता, तो फ्री मे दवा लिखते भी देते थे। इस काम से धीरे-धीरे रमन की पहचान डाक्टर से ज्यादा समाजसेवी के रूप में होने लगी। एक तरफ पिता विघ्नहरण सिंह ठाकुर जनसंघ के कामों में बिजी थे, तो दूसरी तरफ सक्रिय राजनीति से दूर रमन सिंह एक डाक्टर के रूप में पहचान बना रहे थे, लेकिन जहां रमन सिंह राजनीति से दूर भाग रहे थे वही साल 1976 उन हें कवर्धा जनसंघ का जिलाध्यक्ष बनाया गया।वही से उनकी पॉलिटिक्स शुरु हुई।
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