छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजातियां
1. अबुझमाड़िया
- अबुझमाड़िया मुख्य रूप से नारायणपुर एवं बीजापुर जिले में निवास करते हैं ।
- अबुझमाड़िया गोंड जनजाति की उपजाति है ।
- कृषि पद्धति : पेद्दा।
- अबुझमाड़ का अर्थ’ : - अज्ञात'
- अबुझमाडिया अपने आप को मेताभूम के नाम से जानते हैं ।
2. बैगा
- बैगा जनजातियों का निवास मैकल पर्वत श्रेणी क़र्वधा, राजनांदगांव, मुंगेली, बिलासपुर जिले में हैं।
- बैगा जनजाति गोंडों के पुजारी (पुरोहित) के रूप में कार्य करते हैं ।
- बैगा सर्वाधिक गोदना प्रिय जनजाति है।
3. बिरहोर
- बिरहोर जनजाति का निवास मुख्यत: रायगढ, जशपुर, जिले में है ।
- बिरहोर जनजाति पर 'द बिरहोर एस.सी.राय की रचना है ।
- बिरहोर का सामान्य अर्थ बनचर होता है ।
4. कमार
- कमार जनजातियों का निवास गरियाबंद जिले में बिन्द्रानवागढ़, देवभोग तहसीलों में एवं आंशिक रूप से धमतरी जिले में पाई जाती है।
- कमार मुख्य रूप से गरियाबंद जिले में निवास करती है ।
- इस जनजाति का प्रमुख कार्य बांस शिल्प है।
- सर्वाधिक गोदना गोदवाने वाली जनजाति कमार है।
5. कोरवा
- कोरवा जनजाति का निवास स्थान जशपुर, सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, रायगढ़, कोरिया जिले में है.
- इनकी दो प्रजातियां हैं :-
- पहाड़ी कोरवा
- दिहाड़ी कोरवा
- कोरवा जनजाति पेड़ों के उप्पर मचान बना कर रहते हैं।
1. भुंजिया
2. पंन्डो
1. भुंजिया : राज्य सरकार द्वारा भुंजिया जनजाति के विकास के लिए "भुंजिया विकास" प्राधिकरण संचालित किया जा रहा है
2. पंन्डो : यह जनजाति अंबिकापुर क्षेत्र में निवास करती है। राज्य सरकार द्वारा पंन्डो जनजाति के लिए "पंन्डो विकास" प्राधिकरण संचालित किया जा रहा है
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